जिला महेन्द्रगढ़ : एक
परिचय
कानौड़िया ब्राहम्णों द्वारा आबाद किए जाने कि वजह से महेंन्द्रगढ शहर पहले कानौड के नाम से जाना जाता था। कहा जाता है कि बाबर के एक सेवक मलिक महदूद खान ने बसाया था। सत्रहवीं शताब्दी में मराठा शासक तांत्या टोपे ने यहा एक किले का निर्माण करवाया था। 1861 में पटियाला रियासत के शासक महाराज नरेन्द्र सिहं ने अपने पुत्र मोहिन्द्र सिहं के सम्मान में इस किले का नाम महेन्द्रगढ रख दिया था। इसी किले के नाम कि वजह से इस नगर को महेन्द्रगढ के नाम से जाना जाने लगा और नारनौल निजामत का नाम बदल कर महेन्द्रगढ निजामत रख दिया गया। 1948 में पटियाला रियासत की नारनौल तथा महेन्द्रगढ़ तहसीले, जींद रियासत की दादरी (चरखी दादरी) तहसील तथा नाभा रियासत की बावल निजामत का कुछ हिस्सा मिलाकर महेन्द्रगढ जिले का गठन किया गया तथा नारनौल को जिला मुख्यालय बनाया गया। उल्लेखनीय है कि महेन्द्रगढ जिला राज्य का एकमात्र ऐसा जिला है, जिसका जिला मुख्यालय जिले के नाम के अनुरूप न होकर नारनौल में स्थित है।
1948 में महेन्द्रगढ जिले के गठन के बाद से जिलो के पुर्नगठन व नये जिले बनने की वजह से महेन्द्रगढ की भौगोलिक सीमाओं में अनेक बार परिवर्तन किऐ गये हैं। 1989 में रेवाड़ी को नया जिला बनाने के बाद महेन्द्रगढ जिले की भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन हुआ है।
भौगोलिक स्थिति, क्षेत्रफल तथा जनसंख्या
महेन्द्रगढ़ जिला हरियाणा राज्य के दक्षिण-पश्चिम छोर के अन्तिम सिरे पर स्थित हैं। इसकी पश्चिम-दक्षिण की सीमायें तथा पूर्वी सीमा का एक बड़ा भाग राजस्थान प्रदेश तथा पूर्वी सीमा का शेष भाग हरियाण के जिला रेवाड़ी व उत्तरी भाग भिवानी जिले के साथ लगती हैं।
इस जिले का कुल क्षेत्रफल 1939.6 वर्ग किलोमीटर हैं, जिसमें से 1916.9 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण तथा 22.7 वर्ग किलोमीटर शहरी क्षेत्र में आता है। इसमें नारनौल उप मण्डल का कुल क्षेत्रफल 952.9 वर्ग किलोमीटर तथा महेन्द्रगढ व कनीना उपमण्डल का कुल क्षेत्रफल 986.7 वर्ग किलोमीटर है। जिले में उक्त तीन उपमण्डल के अतिरिक्तनारनौल, महेन्द्रगढ, अटेली, कनीना व नांगल चौधरी पांच तहसील, सतनाली उप-तहसील तथा नारनौल, महेन्द्रगढ, अटेली, कनीना, नांगल चौधरी, सतनाली, निजामपुर व सिहमा आठ विकास खण्ड सम्मलित हैं। महेन्द्रगढ जिले में गावों की संख्या 370 हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार महेन्द्रगढ जिले की जनसंख्या 9,21,680 हैं, जिसमे 4,86,553 पुरूष तथा 4,35,127 महिलाऐं शामिल हैं।
महेन्द्रगढ जिले का अधिकाशं क्षेत्र रेतीला व पहाड़ी होने की वजह से यहां की जलवायु शुष्क हैं। अतः यहां की जलवायु ग्रीष्म ऋतु में गर्म और शीत ऋतु में ठंडी होती हैं। राजस्थान की सीमा के साथ सटे होने के कारण ग्रीष्म ऋतु में जिले में तेज हवाऐं व धूल भरी आंधियां आती हैं। वर्षा ऋतु के अतिरिक्त यहां शरद ऋतु में फरवरी व मार्च माह में भी कुछ वर्षा होती हैं।
जिला एक दृष्टि में
प्रशासनिक ढ़ांचा
उप मण्डल 3
तहसील 5
उप तहसील 1
विकास खण्ड़ 8
गांव 370
पंचायतें 344
क्षेत्रफल एवं जनसंख्या-2011
क्षेत्रफल : 1938.46 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या : 9,21,680
पुरूष : 4,86,553
महिला : 4,35,127
जिला में साक्षरता दर : 80.8%
पुरूष : 89.4%
महिलाएं : 71.0%
विभिन्न जानकारी
उप अधिक्षक कार्यालय : 2
पुलिस स्टेशन : 7
ड़ाक घर : 10
नगर परिषद : 1
नगरपालिका : 4
मार्किट कमेटी : 4
विधानसभा क्षेत्र : 4
लोकसभा क्षेत्र : 1
कानौड़िया ब्राहम्णों द्वारा आबाद किए जाने कि वजह से महेंन्द्रगढ शहर पहले कानौड के नाम से जाना जाता था। कहा जाता है कि बाबर के एक सेवक मलिक महदूद खान ने बसाया था। सत्रहवीं शताब्दी में मराठा शासक तांत्या टोपे ने यहा एक किले का निर्माण करवाया था। 1861 में पटियाला रियासत के शासक महाराज नरेन्द्र सिहं ने अपने पुत्र मोहिन्द्र सिहं के सम्मान में इस किले का नाम महेन्द्रगढ रख दिया था। इसी किले के नाम कि वजह से इस नगर को महेन्द्रगढ के नाम से जाना जाने लगा और नारनौल निजामत का नाम बदल कर महेन्द्रगढ निजामत रख दिया गया। 1948 में पटियाला रियासत की नारनौल तथा महेन्द्रगढ़ तहसीले, जींद रियासत की दादरी (चरखी दादरी) तहसील तथा नाभा रियासत की बावल निजामत का कुछ हिस्सा मिलाकर महेन्द्रगढ जिले का गठन किया गया तथा नारनौल को जिला मुख्यालय बनाया गया। उल्लेखनीय है कि महेन्द्रगढ जिला राज्य का एकमात्र ऐसा जिला है, जिसका जिला मुख्यालय जिले के नाम के अनुरूप न होकर नारनौल में स्थित है।
1948 में महेन्द्रगढ जिले के गठन के बाद से जिलो के पुर्नगठन व नये जिले बनने की वजह से महेन्द्रगढ की भौगोलिक सीमाओं में अनेक बार परिवर्तन किऐ गये हैं। 1989 में रेवाड़ी को नया जिला बनाने के बाद महेन्द्रगढ जिले की भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन हुआ है।
भौगोलिक स्थिति, क्षेत्रफल तथा जनसंख्या
महेन्द्रगढ़ जिला हरियाणा राज्य के दक्षिण-पश्चिम छोर के अन्तिम सिरे पर स्थित हैं। इसकी पश्चिम-दक्षिण की सीमायें तथा पूर्वी सीमा का एक बड़ा भाग राजस्थान प्रदेश तथा पूर्वी सीमा का शेष भाग हरियाण के जिला रेवाड़ी व उत्तरी भाग भिवानी जिले के साथ लगती हैं।
इस जिले का कुल क्षेत्रफल 1939.6 वर्ग किलोमीटर हैं, जिसमें से 1916.9 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण तथा 22.7 वर्ग किलोमीटर शहरी क्षेत्र में आता है। इसमें नारनौल उप मण्डल का कुल क्षेत्रफल 952.9 वर्ग किलोमीटर तथा महेन्द्रगढ व कनीना उपमण्डल का कुल क्षेत्रफल 986.7 वर्ग किलोमीटर है। जिले में उक्त तीन उपमण्डल के अतिरिक्तनारनौल, महेन्द्रगढ, अटेली, कनीना व नांगल चौधरी पांच तहसील, सतनाली उप-तहसील तथा नारनौल, महेन्द्रगढ, अटेली, कनीना, नांगल चौधरी, सतनाली, निजामपुर व सिहमा आठ विकास खण्ड सम्मलित हैं। महेन्द्रगढ जिले में गावों की संख्या 370 हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार महेन्द्रगढ जिले की जनसंख्या 9,21,680 हैं, जिसमे 4,86,553 पुरूष तथा 4,35,127 महिलाऐं शामिल हैं।
महेन्द्रगढ जिले का अधिकाशं क्षेत्र रेतीला व पहाड़ी होने की वजह से यहां की जलवायु शुष्क हैं। अतः यहां की जलवायु ग्रीष्म ऋतु में गर्म और शीत ऋतु में ठंडी होती हैं। राजस्थान की सीमा के साथ सटे होने के कारण ग्रीष्म ऋतु में जिले में तेज हवाऐं व धूल भरी आंधियां आती हैं। वर्षा ऋतु के अतिरिक्त यहां शरद ऋतु में फरवरी व मार्च माह में भी कुछ वर्षा होती हैं।
जिला एक दृष्टि में
प्रशासनिक ढ़ांचा
उप मण्डल 3
तहसील 5
उप तहसील 1
विकास खण्ड़ 8
गांव 370
पंचायतें 344
क्षेत्रफल एवं जनसंख्या-2011
क्षेत्रफल : 1938.46 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या : 9,21,680
पुरूष : 4,86,553
महिला : 4,35,127
जिला में साक्षरता दर : 80.8%
पुरूष : 89.4%
महिलाएं : 71.0%
विभिन्न जानकारी
उप अधिक्षक कार्यालय : 2
पुलिस स्टेशन : 7
ड़ाक घर : 10
नगर परिषद : 1
नगरपालिका : 4
मार्किट कमेटी : 4
विधानसभा क्षेत्र : 4
लोकसभा क्षेत्र : 1